तीर्थराज प्रयाग के सुप्रसिद्व कथावाचक पूज्य संत श्री रामप्रसाद जी महाराज ने श्रीराम सीता व लक्ष्मण सहित वन को जाते समय श्रृंगवेरपुर में रात्रि शयन के समय निषादराज जी द्वारा लक्ष्मण से यह कहने पर कि कैकेयी ने श्रीराम व सीता को बहुत बड़ा दुख दिया का उत्तर देते हुए लक्ष्मण जी ने निषादराज से कहा कि हे मित्र कोई किसी को सुख व दुख नहीं देता बल्कि सभी लोग अपने अपने कर्मो का फल भोगते है। रामायण में केवट व लक्ष्मण जी के इस प्रसंग को लक्ष्मण गीता के नाम से जाना जाता है। जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने इस प्रकार लिखा है। |
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